A humble attempt to write my first poem in Hindi.
मेरे पास पंख है
मेरे पास पंख है
तो ये स्वभाविक है
की मुझे उड़ना आता है ।
अरे नहीं नहीं
ये पंख सच मुच
काम करते है ।
चलो भाई
आप दो पल आराम करे
चाय की चुस्की लीजिये
मैं बस आया ।
मैं भी तो देखूँ
की आज आसमाँ से
धरती कैसे दिख रही है ।
पर मेरे पंख
आज भारी क्यूँ लग रहे है ?
…………………ओ हो ये क्या ?
पीठ थपथपाने के बहाने
आपने तो मेरे पंख में
ग़ोंद का लेप ही लगा दिया ।
मुझे तो सिर्फ़
बारिश कैसे बनती है
बादलों में
छुप कर देख़ना है ।
अरे अरे , आप शर्माइए नहीं
एक मर्तबा कोशिश तो कीजिए
पंख तो आप की पीठ पर भी है ।
सिर्फ़ फ़र्क़ यह है
की आपको एहसास ही नहीं है
की आप भी उड़ सकते है ।
चलो अभी चलते है
समय ज़ाया हो रहा है
आख़िर मुझे तो उड़ना है !
A humble attempt to write my first poem in Hindi. Anupam
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